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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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सरसी छंद - कर सपने साकार

सरसी छंद - कर सपने साकार

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संग हौसले कदम बढ़ाओ, होगी  कैसे   हार।
डरते क्यों हो बढ़ना आगे, कर सपने साकार।।

लोगों का है काम डराना, क्या है इसमें खास।
टूटे सब आधार तुम्हारा, उनकी इतनी आस।
नयन मूँद आगे बढ़ जाओ, कर सबका आभार।
डरते क्यों हो बढ़ना आगे, कर सपने साकार।।

शुभ चिंतक हैं सभी मान लो, बड़े हर्ष के साथ।
ईश चरण में सदा झुकाए, रखिए अपना माथ।
जो  है  मन की सोच तुम्हारे, देकर तुम आधार।
डरते क्यों हो बढ़ना आगे,  कर सपने साकार।।

बिना हार कब जीत मिली है, हमें बताओ आप।
फिर क्यों अपने सिर लेते हो, यार हार का पाप।
कुछ करने की बड़ी जरूरत, यही समय दरकार।
डरते क्यों हो बढ़ना आगे, कर सपने साकार।।

दुनिया यूँ ही नहीं झुकाती, कभी किसी को शीश।
जिस दिन तुमको जीत मिलेगी, हो जाओगे बीस।
बड़े  धैर्य  से  आगे  बढ़ना, निकले  दुश्मन खीस।
डरते  क्यों  हो  बढ़ना आगे, कर  सपने  साकार।।

खुद पर करके आप भरोसा, जिद लेना तुम ठान।
करने  दुनिया  तभी  लगेगी,   तेरा  भी  गुणगान।
सधे  कदम  जब  होंगे  तेरे,     डर  जाएगी  हार।
डरते  क्यों हो बढ़ना  आगे, कर  सपने  साकार।।

सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र)


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