सरकारी नौकरी और मुंबई कोरोना
सरकारी नौकरी और मुंबई कोरोना
मन आज भी, दूर का सफर कर जाता हैं,
इसीलिए कुछ थक सा, जाता हूँ अब मैंं।
पर याद तो आज भी, सभी को करता हूँ,
बस जताना बताना, वक्त के साथ भूल सा गया हूँ।
कभी कभी खूद को, अपनो के ही भीड़ में,
अकेला महसूस करता हूँ।
फिर खुद ही खुद को, पुरानी यादों में डुबाकर ,
अपनो के साथ मिल लिया करता हूँ।
जिंदगी अभी भी दौड़ रही है मेरी लॉक-डाऊन मैं,
अपने सगे सब गाँव मे, और हम यहाँ टाऊन मैं,
अपने कर्तव्य से मुकरते तो आज भी नहीं है।
वो मँ बाप की आवाजाही है,
जो सुकून दे जाती है
चाहे फिर वो फोन पर ही क्यों ना हो।