सरकार
सरकार
सरकार का नहीं रहा कंट्रोल
फिर से मंहगा हो गया पेट्रोल।
गैस-डीजल के भी बढ़ते दाम
रोटी-नमक भी नहीं अब आम।
खाना भी अब खजाना होगा
म्यूजियम में ही सजाना होगा।
गरीबों को बस मिलती फटकार
कॉरपोरेट की जेब में सरकार।
जनता को छोड़ा है बीच बाजार
कल्याणकारी नहीं अब सरकार।
कुछ नहीं खुद करती सरकार
पीपीपी मोड पे चलती सरकार।
किसानों में कर्ज का हाहाकार
माल्या मोदी हो जाता तड़ीपार।
खूब हवाई सैर करती सरकार
जनता पे पड़ती महंगाई की मार।
विदेशों में जिनकी जय जयकार
तम्बू में ही पड़ा है वो राम दरबार।
अफ़ज़ल के लिए रात लगती कोर्ट
राम-आम सबको देती तारीख़ चोट।
नहीं सरकार की मंशा पे कोई खोट
सियासती मजबूरी,पाना जो है वोट।
