सरकार बहादुर
सरकार बहादुर
सरकारें ऊँचे दर्जे की होती हैं
उसके होते
खराब स्थिति पैदा ही नहीं होती
वे न सुनती हैं,
न बोलती हैं
न देखती हैं
वे हैं निर्लिप्त,
निर्विकार
तभी तो हैं सरकार।
अनंत ,अबूझ पहेली
बाहुबली की हमजोली।
जो मितभाषी
बोलते हैं कभी-कभी
बन जाता है इतिहास
सबके लिये खास।
सरकार में तूफान, बवण्डर,
धूल, मिट्टी,
पहाड़, गिट्टी
सब है।
एक अन्तहीन और कई खण्डों वाली
रहस्यमयी कविता जैसी
मेहरावदार घाटी हो वैसी
अपनी बनाई
पर अपनी समझ से बाहर
मनसा ,वाचा, कर्मणा से दूर
पास से लिजलिजी ,दूर से हूर
अर्थीय ऊर्जा लगाने के बजाय
सिर्फ एक सलाह से
निबट जाती हैं मुश्किलें
यही है सरकार का जादू।
आतंकियों से घनिष्टता
यही है चारित्रिक विशिष्टता।
आम लोगों के दुर्गुण
जब धारण करती है सरकार
तो बन जाते हैं वे सद्गुण।
बचपन से ही
आदमी को सिखाते हैं
हठधर्मिता का निषेध
पर सरकार की हठधर्मिता
उसकी अदा कहलाती है।
