स्त्री सशक्तिकरण
स्त्री सशक्तिकरण
गैस पर चढ़ी भगौनी में
उबलते दूध की तरह
खदक रहे हैं विचार
मन में मन्थन, बौध्दिक चिन्तन
शाम को है वक्तव्य
विषय है स्त्री सशक्तिकरण
मम्मी लन्च बाक्स दो
बेटे की आवाज से
टूट गयी तन्द्रा
विचार छिन्न-भिन्न
बच्चों के जाते ही
फिर से विचारमग्न
पानी की मोटर की
घन्न घन्न
गुम हो गये विचार
मस्तिष्क हुआ सुन्न
कुकर की सीटी से
लौटी विचार बीथी से
खाना बना क्या ?
पति की आदेश भरी पुकार
इन सबके बीच बचे नहीं
सब्जी की तरह कट गये विचार
गुंथ गये आटे में नमक की तरह
दाल के बघार की तरह
ऊपर ही ऊपर, तितर-बितर
पति के आॅफिस जाते ही
विचार पुनः हावी
कपड़े घोने थे
क्योंकि
बिजली की अभी आमद थी
मशीन की घिर्र-घिर्र
दिमाग से धुल गए
तथ्य और विचार
फिर कुछ सोच पाती
उससे पहले ही
महरी की तुनक
बर्तन की घिटपिट
ऐसे ही गुजरे पल
मन को मिला न संबल
दरवाजे की दस्तक
बच्चों की आवक
भोजन , होमवर्क
कई काम थे
शाम को उसे जाना है
ऑफिस से पति लौटे
उसके बाद का समय
दिया है उसने
वक्तव्य देने के लिए
उसके पास समय ही कहाँ
देने के लिए
कहने को तो ‘हाउस वाइफ’ है
सही तो है ‘घरेलू पत्नी’
पर पत्नी का घर है क्या ?
वह करती है घर की देखभाल
पर उसकी करेगा कौन ?
वह देती है भाषण
स्त्री सशक्तिकरण पर
फूला है पति का मुँह
बच्चों की शिकायतें
उनकी फरमाइशें
बदलती है लौटकर कपड़े
घुस जाती है रसोई में
रात्रि के भोजन की तैयारी में।