सपनो का भारत
सपनो का भारत
महापुरुषों के सपनों का भारत तुम सब मिलकर साकार करो,
चारों दिशाएं एक हो जिसकी वो भारत तैयार करो।
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी लोग बिखरे हैं यहां,
भारत ही हो धर्म सबका ऐसा मजहब तैयार करो।
खुद का स्वार्थ छोड़कर बनो सार्थी राष्ट्र के,
भारत की प्रगति में जुड़ने का आगाज करो।
स्वतंत्र भारत के बाद भी मानसिक गुलामी बाकी है,
भविष्य हो तुम भारत के अब सोच को आजाद करो।
बहुत हुआ है खून-खराबा बहुत लड़ाइयां लड़ ली हमने,
जाति-धर्म के नाम पर अब तो लड़ना बंद करो।
दुख हो कोई या कोई आपदा अपने ही साथ आएंगे,
इन नेताओं के चक्कर में अपनों से भिड़ना बंद करो।
महापुरुषों के विचारों को अपनाओ अपने जीवन में,
भारत के इन रत्नों को आपस में बांटना बंद करो।
देकर अपनी जान जिन्होंने भारत देश आजाद कराया,
उन वीरों की कुर्बानियों को दिल से अपने याद करो।
स्वतंत्रता का पर्व है राष्ट्र को जिस पर गर्व है,
अपने सुर में सुर मिलाओ स्वतंत्र राष्ट्र का गान करो।
आन - बान और शान से लहराता है जो,
मिलकर आज उस तिरंगे को सलाम करो।
