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Sanju nirmohi

Abstract Inspirational

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Sanju nirmohi

Abstract Inspirational

खिलने निकला और मुरझाने आ गया

खिलने निकला और मुरझाने आ गया

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बहारों से दूर नया चमन खिलाने आ गया

खुशबू से हटकर खुद को महकाने आ गया,

एक फूल कुछ कांटो की समस्याओं से ऊब गया था

नासमझ अपार कांटों में घर बसाने आ गया।


चाहत है आमादा करने की अपनी हिकमत को 

मगर होता वही है जो मंजूर हो किस्मत को

इरादा लेकर निकला था एक हसींन दुनिया का मगर 

कहां जाना था और  कहां गया


कहते हैं हर सुबह उजाले की किरण लेकर आती है 

अंधेरे से इस दुनिया को उजाले की ओर ले जाती है 

हर सुबह मुसीबतों की है जीवन में अपने शायद 

अंधेरे से ही प्यार है अब तो, ये सुबह का सूरज कहां से आ गया


अपनी तन्हाई को यूं  शब्दों में लिख गया 

जो जो आया मन में सब लिख गया

इक मोड़ दो जिंदगी को किस्मत दूसरा मोड़ ले लेती है शायद

इसलिए खिलने निकला और मुरझाने आ गया। 



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