सफलता की पुंजी
सफलता की पुंजी
छू ले गगन को ज़मीं की तलाश न कर
तूफानो,आँधियों से ना ऐसे डर
एक अपनी मंजिल खुद तय कर
जिंदगी अपनी उम्मीद की चिंगारी से भर
छू ले गगन को जमीं की तलाश न कर ||1||
संघर्ष भरी जिंदगी में पाहाडो की परवाह ना कर
संघर्षरूपी रस्ते में आनेवाले काकाँटों कोज ड़ से साफ कर
अपनी जिंदगी नयी सोच से उभर
छू ले गगन को ज़मीं की तलाश न कर ||2||
सात समुंदर पार कर
चट्टानो से लड़ कर
असफलता की परवाह ना कर
छू ले गगन को जमीं की तलाश न कर ||3||
तुझमे ही है उम्मीद भरी ताकत उसे सिद्ध कर
ना ऐसे अंधेरो मे घुट घुट के मर
अपनी जिंदगी उजालो से भर
छू ले गगन को जमीं की तलाश न कर ||4||
