समय की बात
समय की बात
समय कहाँ किसी की सुनता है
बस अपने मन की करता है
अति वेग है इसकी धारा में
ये कल कल करता बहता है
है भूत भविष्य समेटे हुए
अथाह ज्ञान को लपेटे हुए
अदृश्य ये हवा सा है
समय कहाँ किसी की सुनता है
बस अपनी धुन में रहता है
मगर समय की बात सुनिए
यह जीवन की मुख्य धारा है
जिस जिस ने सुना समय को
इसने उसको पार उतारा है