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Naresh Bokan Gujjar

Others

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Naresh Bokan Gujjar

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लम्हें कभी कैद नहीं होते

लम्हें कभी कैद नहीं होते

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लम्हें कभी कैद नहीं होते,

वो बहते रहते हैं वक़्त की धाराओं में,

छोड़ते जाते हैं अपने निशाँ जहाँ से भी गुजरते हैं,

बादलों से होते हैं ये लम्हें, 

उड़ते रहते हैं मानव मस्तिष्क के अथाह अंतरिक्ष में,

और भिगोते हैं इंसानी तन मन को नई पुरानी, खट्टी-मिठी, यादों से,

ले आते कभी उदास चेहरों पर हँसी,

कभी हँसती आँखों में नमी ले आते हैं,

लम्हें कभी कैद नहीं होते,

वो उन्मुक्त रहते हैं, प्रवाहित रहते हैं 



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