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एक कविता बहुत कुछ कहती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है

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कितनी ही ख़ुशियाँ कितने ही ग़म

समेटे रहती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है,


किसी‌ की चंचलता, किसी का रूखापन 

किसी की नफरत, किसी का प्यार साथ

ले बहती‌ है

एक कविता बहुत कुछ कहती है,


कहीं बारिश, कहीं सूखा

कहीं बहार, कहीं पतझड़

ना जाने कितने ही मौसम जी लेती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है,


कभी नदिया, कभी पहाड़

कभी जमीं, कभी आकाश की

बातें करती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है,


कौन अमीर, कौन ग़रीब

कौन शैतान, कौन फ़कीर

सबकी खबर रखती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है ।


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