STORYMIRROR

Naresh Bokan Gujjar

Others

3  

Naresh Bokan Gujjar

Others

एक कविता बहुत कुछ कहती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है

1 min
360


कितनी ही ख़ुशियाँ कितने ही ग़म

समेटे रहती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है,


किसी‌ की चंचलता, किसी का रूखापन 

किसी की नफरत, किसी का प्यार साथ

ले बहती‌ है

एक कविता बहुत कुछ कहती है,


कहीं बारिश, कहीं सूखा

कहीं बहार, कहीं पतझड़

ना जाने कितने ही मौसम जी लेती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है,


कभी नदिया, कभी पहाड़

कभी जमीं, कभी आकाश की

बातें करती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है,


कौन अमीर, कौन ग़रीब

कौन शैतान, कौन फ़कीर

सबकी खबर रखती है

एक कविता बहुत कुछ कहती है ।


Rate this content
Log in