समय का फेर है
समय का फेर है
हर जीव दो नयन
दो नयन देखे त्रिभुवन
देखे त्रिभुवन साकार सपन
साकार सपन देख होत सबेर है
मरू भूमि बन नित मन विचरण
मन विचरण देखे आकाश दरपन
आकाश दरपन देख जीव लुभावन
जीव लुभावन होत हेत अंधेर है
साहस संबल होत सबल जन
सबल जन जब मति छनछन
मति छनछन में दुखत जीवन
दुखत जीवन कहत समय का फेर है।
