सीधी बात
सीधी बात
ज़िंदगी की उलझनों से छुटकारा चाहती थी
इतनी सीधी बात किसीको समझमे ना आयी थी
मुझे काग़ज़ की तरह इस्तेमाल किया गया
फिर भी मैं कुछ कह नहीं पा रही थी
जब भर्ती रही तो हर कोई पढ़ना चाहा
जब खाली रही तो हर कोई खरीदना चाहा
खुशहाल ज़िंदगी के लिए माफ़ करो और माफ़ी माँगलो
इतनी सीधी बात किसीको को समझमे ना आयी थी।
