श्याम
श्याम
वो श्याम रूप, तेज़ सा,
अखंड भाव, परिपक्वता,
विक्षिप्त नयन,
क्रोधित एक क्षण,
माया ग्रस्त,
पिघल गये,
मोम से,
जो पुष्प मुख पर पड़े
उत्तेजना के द्वार से,
विनम्र द्वार को चले,
मंत्रमुग्ध, वशीभूत,
नयन सिंधु में बह चले
वो पुष्प मुख,
देवी स्वरूप
देखे जो श्याम,
चोर चक्षु से
सुगठित, सुडौल,
श्यामरूप
मोहनी ध्यान
धर लिये
आश्वस्त स्वयं के रूप से,
उद्विग्न मन को स्थिर किये
मंद स्मित के बाण से,
श्याम ठग लिये,
बंदी किये...