शर्मिला आशिक
शर्मिला आशिक
आज फिर जीने की तमन्ना है
दिल को मिली रज़ा खुला आसमान है
वो चाहत है करिश्मा ये कुदरत का है
हंसी आंखों में, खिलखिलाट नज़ारा है
हाथों मे तेरे मेरा हाथ है साथ रंग है
जन्नतें हुस्न नज़ारा और कहां पाना है

