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Uttam Agrahari

Abstract Inspirational

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Uttam Agrahari

Abstract Inspirational

श्री हनुमत् शरणम्

श्री हनुमत् शरणम्

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हनुमान जी सुन लो प्रभु, गुरु रुप में मुझ को मिलो!

मैं पथिक भटका राह में, प्रभु मार्गदर्शन कुछ करो!!


मैं आज आया हूँ शरण, गुरु रुप में मुझे प्राप्त हो!

एकलव्य जैसी ये दशा, प्रभु आज ना मेरी करो!!


तरसे तेरे हम प्रेम को, तेरे भी होकर ना मिले!

कुछ खोट है इस दास का, इतनी व्यथा ये क्यूँ सहे!!


बचपन तेरी छाया कटा, चरणों में तुझ को अर्घ्य दे!

स्थित सदा तुझ में रहा, जैसा रहा तेरा रहा!!


मन में सदा मेरे आप हो, प्रभु आप क्यूँ मिलते नही!

क्या दास इतना तुच्क्ष है, सीधी कृपा करते नही!!


अपराध मेरे प्रभु बड़े, तेरे प्रेम से वंचित हुए!

अब तो क्षमा कर दीजिए, या दण्ड प्रभु कुछ दीजिए!!


जो था मेरा सब खो गया, जो बचा प्रभु वो आप हो!

प्रभु आप को भूलूं नही, ऐसा अमिट वरदान दो!!


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