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Uttam Agrahari

Others

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Uttam Agrahari

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आत्म मंथन

आत्म मंथन

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मै दिव्य पुरुष अति तेजोमय, इस दिव्य धरा पर हूँ आया

दिव्य विचारों के सत्यसंग से ये रहस्य मैनें पाया।


कोई और नही मै उस परम् ब्रम्हा परमेश्वर की छाया हूँ

उसकी माया से फूटे अंकुर से ही मै जाया हूँ ।


मै उस दिव्य चेतना का स्वरुप और उसी शक्ति का एक पुँज

उस परमेश्वर के सागर में खिले कमल दलों का एक कुँज।


मै एक बूंद उस सागर की उस परमेश्वर की माया हूँ

उस परमपिता परमेश्वर का बस भेद यही मै पाया हूँ ।


जीवन के सुंदर रंगमंच में अपनी सुंदर कलाकृति दूंगा

सौम्य सरलता और शांति से जीवन सुखमय कर लूंगा।


हे परमशक्ति, हे महाप्रकाश तेरा आवाहन करता हूँ

इस दुर्गम मार्ग में संग तेरा पाने की आशा रखता हूँ ।



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