शिक्षक
शिक्षक


अंधकार जो दूर कर,
नित उजियाला लाता है
तमस को जो भेद कर,
सन्मार्ग हमे दिखता है
नित नए मोती जो पिरो कर,
भविष्य हमारा सजाता है
दीप सम प्रज्वलित हो जो,
ज्ञान मार्ग दिखाता है
जीवन के हर मर्म को जो,
बखूबी समझाता है
हर परिस्तिथि को जितना,
जो हर पल हमे सिखाता हैं
साक्षात ब्रम्ह हैं जो,
गुरु रूप में आता है
नमन उन सभी गुरुओं को
जिनसे हम सबका नाता हैं
शब्दों के कुछ मोतियों से,
कैसे हम महिमा गान करे
गुरु का स्वरूप अनोखा,
केवल मौन व्याख्यान करे
मौन की इस भाषा से
हे अनंत तुम्हें प्रणाम करें।