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Asfia Khatoon

Abstract

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Asfia Khatoon

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शिक्षक

शिक्षक

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देते जन्म माता-पिता,

पालते निज शिशु को

अन्य जानवर के सदृश,

निज तनय - तनया को।


शिक्षक उन्हें ज्ञान देकर,

निज करों का दान देकर

अपने हृदय का विचार लेकर,

शिशु को ज्ञान का दीपक दिखाते।


शिक्षक शिशु के कच्चे मन को,

खराद निज सवरूप देते

मानो खुरदरे, टेढ़े पत्थर को,

निज तराश निर्माण करते।


कुम्हार मिट्टी से बरतन बनाता,

शिक्षक जानवर से मानव बनाते

अबोध बालक गिरा गयान से,

शिक्षक उन्हें होशियार करते।


मोमबत्ती जलकर प्रकाश देता,

गुरु निज लहू को खुद जलाता।

गुरु ज्ञान का अमृत पिलाकर,

शिशु को अमृत देता।


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