गृहस्थ गीता
गृहस्थ गीता
आतिथ्य घर का वैभव है
समझौता घर का सुख है।
पयार घर की प्रतिष्ठा है
व्यवस्था घर की शोभा है।
सिर पर कर्ज हो जाय
इतना व्यय मत करो।
पाप हो ऐसा कमाओ नहीं
चिंता हो वैसा जिओ नहीं।
रोग हो ऐसी खाओ नहीं
क्लेश हो ऐसा बोलो नहीं।
आतिथ्य घर का वैभव है
समझौता घर का सुख है।
पयार घर की प्रतिष्ठा है
व्यवस्था घर की शोभा है।
सिर पर कर्ज हो जाय
इतना व्यय मत करो।
पाप हो ऐसा कमाओ नहीं
चिंता हो वैसा जिओ नहीं।
रोग हो ऐसी खाओ नहीं
क्लेश हो ऐसा बोलो नहीं।