STORYMIRROR

शहर का हाल

शहर का हाल

1 min
13.7K


अरसा हुआ नज़र भर देखे हुए

इस शहर का हाल क्या कहें

खुद ही बेहाल से फिरते हैं

इस शहर का हाल क्या कहें


रेल की पटरियों पर कट रही ज़िन्दगी

सड़कों के पार का अब हाल क्या कहें

कभी दो वक़्त ठहरें तो पता चले

पड़ोस में हो रहा क्यों बवाल, क्या कहें


सुबह से शाम हो जाती है इस कोलाहल में

अपनी ही आवाज़ सुने,

जेहन में जो कभी उठती है

वो ख्याल क्या कहें


कई ख्वाब समेट कर आये थे

जो गुजर गए महीने-साल क्या कहें

तुम्हारे अंदर भी वही खालीपन दीखता है

तुमसे अपना मलाल क्या कहें


जवाब मिलता नहीं, भटक रहे कब से

तलाश ही बस रह गयी, अब सवाल क्या कहें !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama