STORYMIRROR

Praveen Gola

Abstract

3  

Praveen Gola

Abstract

शब्द खो गए

शब्द खो गए

1 min
131

शब्द खो गए

तुम्हारे बिन

मैं मूंद पलकें

रही उन्हे गिन


शब्द खो गए

तुम्हारे बिन


तुमने मिलना छोड़ा

शब्दों ने नाता तोड़ा

मैं खोजती रही

उन्हे रात -दिन


शब्द खो गए

तुम्हारे बिन


तुमने लिखना सिखाया

अंदर सब जगाया

एक बार फिर मिलो

जायें ना ये पल छिन


शब्द खो गए

तुम्हारे बिन


कितनी रातों में

जले ये दिये

अब जल रहे 

कहीं टिम - टिम


शब्द खो गए

तुम्हारे बिन


बस एक बार

तुम आ जाओ

इन शब्दों को

मैं लूँ फिर गिन

शब्द खो गए

तुम्हारे बिन।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract