शाम ढल रही है पक्षी लौट रहे हैं
शाम ढल रही है पक्षी लौट रहे हैं
शाम ढल रही है पक्षी लौट रहे हैं
कब तक करूं तेरा इंतज़ार,
अब तो तेरे आने की आशा भी टूट रही है
ऐसे थे वो दिन, जब हम मिले थे,
मेंने तुझे देखा था,
एक झलक देखते ही लगा जैसे दुनिया मिल गई हो,
बस फिर कुछ न सोचा और थम लिया तेरा हाथ ,
चल दिए जीवन के नए सफर में,
जहां सिर्फ खुशियां ही खुशियां थी
लेकिन पढ़ा था मेने किताबों में
जहाँ ख़ुशी के बाद गम आता है,
गम के बाद खुशियां
शाम ढल रही ह आशा टूट रही है
नहीं होता अब तेरा इंतज़ार,
आजा पिया आजा पिया, पिया रे पिया।
उनके घर आते ही
महक जाती ह ज़िन्दगी,
उनके जाते ही लगता है
खली हो जाता ह दामन,
उनके बिना रहा भी नहीं जाता
उनसे कुछ कहा भी नहीं जाता।
शाम ढल रही ह आशा टूट रही है
नहीं होता अब तेरा इंतज़ार,
आजा पिया आजा पिया, पिया रे पिया।
जब तू मुस्कुराके के देखता ह, ऐसे लगता है ,
जैसे सब कुछ पा लिया मेंने
और कुछ नहीं चाहिए।
तेरी मुस्कुराहटों मेरी मेरी खुशियां कुर्बान
जो तू कहे, वो में करूं,
जो तू न कहे वो भी में कर लूं
जब से तू गया है घर को छोड़ कर ,
मैंने कितने किये ह जतन , तुझे मानाने की
अब तो आशा टूट ही गई ह तेरे आने की
तुझको में कितनी शिद्दत से चाहूं
तू न जाने तू कब समझेगा मेरी चाहत को,
जितना तुझे चाहूं
उतना में टूटती जाऊं
जाने कब तू मेरा होके बापिस आएगा
अब तो आशा भी टूट गई है।