सच्चा रिश्ता
सच्चा रिश्ता
मैं समझ गयी हूँ वो सब बातें
जो माँ ने मुझे बतायी थी
पास अपने बिठाकर जो
प्यार से समझायी थी
मन नहीं था तब
फिर भी सुने जा रही थी
मगर आज वो सभी बातें
मेरे कानों में गूंज रही थीं
जब गोद में मेरी बिटिया
मुझे माँ कहकर पुकार रही थी
सहसा यह सोचकर सिहर जाती हूँ मैं
क्यूँ बेटी बनकर भी माँ से
बहुत दूर चली जाती हूँ मैं
ना बेटी बनकर पास रही
ना माँ बनकर रह पाउंगी
पर ममता का ये रिश्ता
मैं सच्चे मन से निभाउंगी ।