STORYMIRROR

सब तेरे जैसे होते !

सब तेरे जैसे होते !

1 min
464


जब भी तुम आते हो 

मेरे तट पर

कितना  

अच्छा लगता है मुझको 

जब तुम करते हो 

बेशुमार अठखेलियां

मेरी लहरों के संग 

हर लहर हो जाती है बेताब

तुम्हें छूने को 


छेड़कर मुझको तुम 

साफ निकल जाते हो 

फिर मस्ती में बौराकर

उतरते हो मुझमें 

लगाते है गोते 

तब डर लगता है मुझको 


इसलिए कि तुम 

कितने छोटे लगते हो 

नन्हें प्यारे मासूम 

जब कहते हो तुम

मुझको गंगा मैया 

जी करता है 


तुमको भर लूं अंक में 

हर लहर आती है तुम तक 

नहलाती है तुमको बड़े प्यार से 

जब आकंठ समाते हो मुझमें 

करते हो सूर्य नमस्कार 

सूर्य की सुनहरी कि

रणें 


छा जाती है मुझपर 

मैं ओढ़ लेती हूं सुनहरी चुनरिया

ओह ओ लाल मेरे 

क्या बताऊं 

कैसे बताऊं तुमको 

मैं हाले दिल अपना 

बड़े संकट में हूं 


सच बताऊं तुमको 

वैसे तो दिन भर

जाने कितने आते रहते हैं 

करते हैं कर्मकांड - पूजा पाठ

और करते हैं जाने क्या क्या

फैलाते हैं कचरा 


आस-पास के प्रांगण में 

और मेरे तट पर 

देखकर गंदगी मैं होती हूं शर्मिंदा 

बस यूं ही कहते रहते हैं लोग 

गंगा मैया गंगा मैया


लेकिन  

कदर नहीं करते मैया की 

बस यही दुख है मुझको 

काश सब होते तेरे जैसे !

रखते ख्याल पर्यावरण का !

हो जाती मैं निहाल !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract