sayad
sayad
हाँ कई बार वजह ढूंढता हूँ मुसकुराने कि
पर हर बार हार जाता हूँ
क्योंकि न कोई है और न कोई किसी के पास वजह है मुझे मनाने कि
अब दिल जब भी तेरी याद में रहता है तो तड़पता है
सरस
अब आदत हो गई है शायद खुद को रुलाने कि.....
हाँ कई बार वजह ढूंढता हूँ मुसकुराने कि
पर हर बार हार जाता हूँ
क्योंकि न कोई है और न कोई किसी के पास वजह है मुझे मनाने कि
अब दिल जब भी तेरी याद में रहता है तो तड़पता है
सरस
अब आदत हो गई है शायद खुद को रुलाने कि.....