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Subha Dabbiru

Abstract

4.0  

Subha Dabbiru

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सालगिरह मेरी गुड़िया की

सालगिरह मेरी गुड़िया की

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127



सालगिरह मेरी

गुड़िया की आज 

देना मुबारकबाद 

सब कोई आज.....


आज के दिन ही तो 

आई थी तू 

साथ में खुशियां 

लाई थी तू.....


 ऐसे तो सबकी

 लाडली बन गई 

 अपनी मां की तू 

 मुस्कुराहट बन गई.....


मां की आंचल में

छुप जाती थी

जब तू बहुत

छोटी सी थी......


अब तू बड़ी 

सयानी हो गई 

अपने महल की

रानी बन गई

प्यारी सी परी की 

मां तू बन गई........


चकित रहती हूं 

पढ़कर आत्मविश्वास को

तेरी आंखों में 

कैसे कर लेती है 

हल तू अपनी

परेशानियों का

पल भर में.......


व्यस्त अपने परिवार में 

तू रहती है

नईहर आना तो 

भूलसी गई है......


मां अपनी नजर 

बिछाए बैठी है 

तुझसे मिलने को 

तरस सी गई है......


पराया हम सबको

ना समझ तू लाडो 

यह घर भी 

तेरी है

भूलना नहीं तू लाडो....


जहां भी रहो तुम

सदा खुश रहना

यही तेरी मैया की

दिल की तमन्ना..... !


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