रूख क्या बदली हवा मरन हो गई
रूख क्या बदली हवा मरन हो गई
आंख नम हो गई जीवन कम हो गई
रूख क्या बदली हवा मरन हो गई।।
कतार लग गई लासे लकड़ी कम हो गई
स्वास्थ गगन में त्राहि-त्राहि जीवन हो गई।।
डॉक्टर अस्पताल दवाई बेड कम हो गई
यह देख संकट घुटन सी होने लग गई।।
क्या होगा आगे सोचकर मन घबराने लग गई
जीभी किसी कोने में ऐसे जैसे चुराने लग गई।।
दोष दे किसे एक एक को ढूंढ कर लाने गई
प्रवाह जिंदगी का कर आंखें रोने लग गई।।
हिम्मत भी अधीर होकर बल-खाने लग गई
मन-आत्मा भगवान की भक्ति गाने लग गई।।