रंगोतस्व
रंगोतस्व
जीजा - साली, देवर - भाभी,
पूरे साल करते इंतजार,
कब होगी अब छेड़ाखानी ?
कब होगी मीठी तकरार ?
कब खायेंगे संग मिठाई ?
कब मलेंगे एक - दूजे पर गुलाल ?
क्यूँ फाल्गुन मास में ही आता ?
ये होली का पावन त्योहार ?
छोटे बच्चों की पिचकारी ,
बंद हो जाती अलमारी में हर बार,
कितना अच्छा हो जो,
पूरे वर्ष मने होली का त्योहार।
होली का त्योहार खुशियाँ लाता,
भाई - भाई को गले लगाता,
रँग - पानी के संगम से,
वर्षों पुराना बैर मिट जाता।
बुराई की जब होलिका जलती,
अहंकार की राख बिखरती,
समापन यज्ञ का तब हो जाता,
और अगले दिन रंगोतस्व आता।
रंगोतस्व सृजनता का परिचायक,
जिसमे हर कोई होता नायक,
खेल होली सब घुल - मिल जाते,
पूरे जोश से होली का त्योहार मनाते।
