रंगबरसे
रंगबरसे
रंग बरसे, मोहन मतवारा।
राधा घूम-घूम कर नाचें निरखे मोहन प्यारा।।
भर-भर कर रंग की पिचकारी,ताकि ताक छोड़े गिरधारी।
राधे रानी डटी सामने, भीग गया तन सारा।।
रंग बरसे ....
साड़ी राधे पहनी ऐसी, क्या बतलावे थी वो कैसी।
गोप्यां माची अद्भुत नाची, मोहन के रंग में वह राची।
बलदाऊ को पकर छविली, सारा बदन उघारा।।
रंग बरसे ..
हँसने लागे गुवाल-बाल जी, शिवदीन देख रहा होली हाल जी।
एक से एक रंगीले ब्रिज जन, रंग की बह रही धारा।।
रंग बरसे ..
