आज भी
आज भी

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आज भी तुम्हारे होठ, मुस्कुराते होंगे ना !
ठंडी हवा, आहें भरने तराशती होगी ना !
आज भी तुम्हारी आँखें, मिलन को बरसती होगी ना !
गरम धूप, मासूम बातें आहत करती होगी ना !
आज भी तुम्हारे हाथ, थामने तड़पते होंगे ना !
बारिश की बूंद, यादों की खुशबू लाती होगी ना !
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आज भी तुम्हारे बाल, हवा में उड़ते होंगे ना !
वसंत पंचमी, सपने बयां करती होगी ना !
आज भी तुम्हारा चेहरा, दमकता होगा ना !
सूरज किरणें, मुस्कुराहट फैलाती होगी ना !
आज भी तुम्हारे मन - शरीर, सपने बुलाते होगे ना !
चाँद - चांदनी, परी का अहसास करती होगी ना !