रंग
रंग
होली का त्योहार साल में
सिर्फ एक बार ही आता है
और आते ही चारो ओर
खुशी की लहर छोड देता है
बच्चो से लेकर बुजुर्ग
लोगों तक हर कोई
इस त्योहार को बड़ी ही
जोश में मनाता है
ऐसा लगता है मानो
तब कोई भेदभाव नहीं
कोई रूठना मनाना नहीं
कोई झगडडा नहीं
सब बस एक साथ
एक मिलकर सब
हर पल को जीते हैं
पर इन सब के बीचे जो
विधवा होती है
वो कहीं ना कहीं
दब कर रह जाती है
क्यूँकि आज भी समाज में
विधवा को उतना नहीं
मान दिया जाता है
कहीं ना कहीं आज भी
हम उन्हें दिल से अपना।
नहीं बना पाए
इस बात का शोक करे
या खुशी मनाए पता नहीं
क्यूँकि उनकी होली
रंगीन नहीं हो पाती
पर कटु पर सत्य जरूर है।