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Amrita Rai

Abstract

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Amrita Rai

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रिश्तों की कीमत

रिश्तों की कीमत

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रिश्तों की कीमत

 पहचानो तुम

अनमोल होते है ये बात मानो तुम


इन्हें व्यर्थ की बातों शिकवा शिकायतों 

से ना तोड़ो तुम

जब ना रहेंगे तो रोकर पछतावा 


कर क्या करोगे तुम

बेहतर है रहते ही इन्हें दिल में 

संभाल कर सजा कर निभाओ तुम


खुद भी खुश रहो इन्हें भी खुश रखो तुम।।


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