STORYMIRROR

KUMAR अविनाश

Abstract Romance

4  

KUMAR अविनाश

Abstract Romance

रात बिस्तर नींद सपने और तुम

रात बिस्तर नींद सपने और तुम

1 min
283


रात बिस्तर नींद सपने और तुम

बस तुम्हारी याद अपने और तुम


बड़बड़ाते हैं अभी भी नाम तेरा

बस तुम्हारी याद जपने और तुम


हर घड़ी हम कर रहे हैं बात तेरी

चल दिये हम राह नपने और तुम


दूर होकर आज तुमसे लग रहा 

हम चले है आँख ढपने और तुम


बेख़बर होकर भला हम क्यों जिये

आ गया तुझमें ही खपने और तुम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract