राष्ट्रप्रेम गीत (6)
राष्ट्रप्रेम गीत (6)
हमें याद तुम्हारी वो हरकत ,
जब अपनी बात से मैटे थे।
समझौता भाई - भाई का था ,
तुम दुश्मन बन चढ़ बैठे थे।।
विश्वास किए हम सारे थे ,
अस्तीन साँप बन बैठे थे।
कैसे तुम पर विश्वास करें ,
न खरे कसौटी उतरे थे।।
तुमने आकर मुंह की खाई ,
जग लाज गवां तुम बैठे थे।
सारे जग ने धिक्कारा था ,
मुंह छुपाके तुम जा बैठे थे।।
तुम बाज ना आए हरकत से ,
इतिहास दोहरा तुम बैठे थे।
हम सबक सिखाएंगे तुमको ,
सिर अपना धुन तुम बैठे थे।।
विश्वास घात का फल तुमको ,
हम तुम्हे चखाने बैठे थे। ।
तुम सोचे थे सोये हैं हम ,
हम तुम्हे जगाने बैठे थे।।