राष्ट्रप्रेम गीत (37)
राष्ट्रप्रेम गीत (37)
कायर तू डीगें हाँकता ,
छुप के गहन वनो में।
हिम्मत है तो सामने आ ,
देखूं भुजा बलन में।।
चुपके से बार करना ,
आदत तेरी जेहन में।
हिम्मत नहीं है तेरी ,
मैंदाने आता जंग में।।
दो मुख रहे हैं तेरे ,
कथनी अलग करन में।
तू मुंह छिपाके फिरता ,
जाहर है सब जगन में।।
कहता हमें तू भाई ,
नफरत तेरे दिलन में।
खुलके तू सामने आ ,
जो है तेरे जेहन में।।
दो-दो की हो ही जाये ,
जलती है आग तन में।
मैदाने जंग होगी ,
और फैसला आंगन में।|
