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Sunil Gupta teacher

Abstract

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Sunil Gupta teacher

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राष्ट्रप्रेम गीत (37)

राष्ट्रप्रेम गीत (37)

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कायर तू डीगें हाँकता , 

छुप के गहन वनो में। 

हिम्मत है तो सामने आ , 

देखूं भुजा बलन में।।


चुपके से बार करना , 

आदत तेरी जेहन में। 

हिम्मत नहीं है तेरी , 

मैंदाने आता जंग में।।


दो मुख रहे हैं तेरे , 

कथनी अलग करन में। 

तू मुंह छिपाके फिरता ,

जाहर है सब जगन में।।


कहता हमें तू भाई , 

नफरत तेरे दिलन में। 

खुलके तू सामने आ ,

जो है तेरे जेहन में।।


दो-दो की हो ही जाये , 

जलती है आग तन में।

मैदाने जंग होगी , 

और फैसला आंगन में।|



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