STORYMIRROR

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

4  

बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

राष्ट्र प्रेमी

राष्ट्र प्रेमी

2 mins
224

राष्ट्रहित में प्रवीण, शौर्यवीर, कर्मवीर,

प्राण व लहू सदा ही राष्ट्र पर लुटाते हैं।


भारती का मान, सम्मान, निज हाथ में ले,

सीमाओं को परिवार अपना बनाते हैं।।


कभी आँच आए गर, भारती के मान पे तो,

लहू भी क्या चीज है, ये शीश को लुटाते हैं।


पावन धरा को फिर पावन बनाते हैं वो,

शीश माल शत्रुओं की देश को चढ़ाते हैं।।


2. चुकाते दूध का वो कर्ज,फर्ज वीर लाल का वो, 

ममता की भेंट आज खुद को चढ़ाते हैं।


बहना की राखी, साखी बनके बापू की शान, 

मैया के आंचल को दाग से बचाते हैं।।


घर में रुकी है सांस, करे बस एक आस,

इस राखी भाई को मैं घर पे बुलाऊंगी।


आस बस रही आस,किंतु गर्व भाई पर है,

सही अर्थ में वो फर्ज भाई का निभाते हैं।।


3. आई घड़ी पावनी, बड़ी ही मनभावनी,

प्रणय को वर बधू मंडप में आते हैं।


बाज रही शहनाई, हर घर में बधाई,

 फेरे लेकर कुमकुम मांग में सजाते हैं।।


सीता जैसी सुकुमारी, सुंदरी सुशीला प्यारी, 

लाजवंती लक्ष्मी, कुलीन बधू घर आई।


माता-पिता का स्वप्न पूर्ण करने के हेतु,

 आशीर्वाद लेकर नया जीवन बसाते हैं।।


4. शादी के दो रोज बाद, फर्ज़ की दिला कर याद, 

दो सिपाही हाथ में एक नोटिस थमाते हैं।


वीर बेटा धरे धीर,घरवाले हो अधीर,

विरह की पीर, अश्रु रूप में बहाते हैं।।


हाथ ले विश्वास साथ, मेहंदी के प्यारे हाथ, 

विदाई है विदाई मात्र, न अंतिम विदाई है।


नियति का खेल खेल, गोली वो सीने पे झेल, 

बॉर्डर के आर्डर पर,जान भी गंवाते हैं।।


5. थोड़ा तुम भी सकुचाओ,अब तो सुधर जाओ,

बैठे हो घरों में, वो फर्ज़ अपना निभाते हैं।


सीमाओं के अंदर भी, बेटी असुरक्षित है, 

बाहर की सीमाओं से वो हमें बचाते हैं।।


स्त्री का मान, सम्मान करो, ध्यान करो,

वो ही कृपादात्री, जन्मदात्री वो ही माई है।


भाई के, पिता के, पति के रिश्ते की लाज करो,

बहू-बेटियों की जैसे लाज वो बचाते हैं।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract