पूछता है भारत
पूछता है भारत
कई दिनो से सून रहे हैं, यही कि आत्मनिर्भर बनो.
क्या हम आत्मनिर्भर नही थे? ये पूछता है भारत.
खुद हम परिश्रम करते है खुद रोजी-रोटी कमाते थै
न कोई हमे खिलाने आता था,नाकोई हाल पूछता था.
महगाई से हम लड़ते थे,पेट काटकर कर भरते थे.
क्या हम आत्मनिर्भर नही थे? ये पूछता है भारत.
सदियों पहले ही गांधीजी ने यही समझाया था.
स्वच्छता, स्वावलंबन, स्वदेशी अभियान चलाया था
क्या राजकरणी राजनीती मे यह सब भूल गये थे.
आज ये मौका मिला है तो ये पूछता है भारत.
पहले अंग्रेजो ने लूटा था अब अपने ही लूट रहे है.
जनता का मृदुलमन व्यग्र है विकास के लिये आतुर है
आजादी के बाद सदियो से विकास कहीं लापता था
अब जाके थोडा नजर आया है लोगो की आस बढी है
भारत आत्मनिर्भरता की और बढ रहा है.
विपक्ष क्यों नही कर पाये पूछता हू मै पूछता है भारत ।