Laxmi Tyagi

Inspirational Others

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Laxmi Tyagi

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पुस्तकालय

पुस्तकालय

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उम्र के इस पड़ाव पर ,इतने अनुभव हो गए हैं,

हम स्वयं एक चलता-फिरता पुस्तकालय हो गए हैं। 


वो भी क्या दिन थे ? बटोरते थे, ज्ञान !दोस्तों संग मस्ती,

विभिन्न शब्दों का भंडार ,अनुभवों की दुकान हो गये हैं। 


किताबी जीवन में, हमने न जाने कितने अनुभव किये ? 

असल जिंदगी के अनुभव ,बहुत ही रोमांचक हो गए हैं। 


पुस्तकों में जो न पढ़ सके, वह जीवन ने सिखा दिया। 

खट्टे -मीठे अनुभव, उन यादों की इक तस्वीर हो गए हैं। 


अब दोस्त तो नहीं रहे ,बीते दिन भी बीत गए,

कितने रोमांचक थे ?वो दिन........ 

अब कहानी -क़िस्सों की ,अद्भुत किताब हो गए हैं। 


हम उम्र से ही नहीं एहसास और अनुभव में भी, महान हो गए हैं। 

हम स्वयं दर्द और खुशी की, धार्मिक और सामाजिक ज्ञान के ,

इतिहास की किताब हो गए हैं। 


 अभी भी न जाने ,कितना ज्ञान भरा है ?इस संसार में ,

संजो लेते हैं ,कोई भी ज्ञान, लिख देते हैं ,अनुभव !

रीति-रिवाज, परिपाटी को लेकर, देश की अमूल्य धरोहर हो गए हैं। 



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