Jyoti Verma
Inspirational
रास्ते की ठोकरों
ने
पत्थर बना दिया
हमे
पर हम भी
पत्थरों के बाप
निकले
हर पत्थर से
फूल
खिला दिया
हमने
इस स्वतंत्र प...
दुनिया मुट्ठी...
इल्ज़ाम
मैं
घर
मुलाकात
जीवन की दौड़ ...
तजुर्बा
एक प्रश्न स्व...
Masti
एक बात आज भी.. माँ की लगे भली... माँ के आँचल का अर्थ..। एक बात आज भी.. माँ की लगे भली... माँ के आँचल का अर्थ..।
आंसू , दर्द , फीकी मुस्कान टूटे हौसलों को वापस फिर से यूँ समेटना… आंसू , दर्द , फीकी मुस्कान टूटे हौसलों को वापस फिर से यूँ समेटना…
हम भी इन फूलों से यही प्रेरणा लेते रहते हैं, कैसी भी परिस्थितियां आएं जीवन में। हम भी इन फूलों से यही प्रेरणा लेते रहते हैं, कैसी भी परिस्थितियां आएं जीवन म...
ऐ काश के जब भी जनम लूं मैं तेरी गोद में ही बीते बचपन।। ऐ काश के जब भी जनम लूं मैं तेरी गोद में ही बीते बचपन।।
इंसाानियत है तो तुम एक इंसान हो वरना तुम इंसान के रूप में जानवर हो। इंसाानियत है तो तुम एक इंसान हो वरना तुम इंसान के रूप में जानवर हो।
राष्ट्र प्रेम धर्म के भारत के प्रखर प्रताप नमन प्रणाम।। राष्ट्र प्रेम धर्म के भारत के प्रखर प्रताप नमन प्रणाम।।
बिन राष्ट्रीय जन चेतना से, सुख - शान्ति मिल सकते कैसे।। बिन राष्ट्रीय जन चेतना से, सुख - शान्ति मिल सकते कैसे।।
तू खुद से मिलके तो देख। तू ही एक रोशन दिया है। तू खुद से मिलके तो देख। तू ही एक रोशन दिया है।
यह मिशन शक्ति मेरी परवाज का आगाज है मैं बनूँ सक्षम सबल, इसका यही बस राज है। यह मिशन शक्ति मेरी परवाज का आगाज है मैं बनूँ सक्षम सबल, इसका यही बस राज है।
यकीन नहीं होता धरती पर ऐसे होते हैं, इनलोगों को हम पूरे दिल से सलाम करते हैं।। यकीन नहीं होता धरती पर ऐसे होते हैं, इनलोगों को हम पूरे दिल से सलाम करते हैं।...
समर्पण से नींव मज़बूत बनाते हैं।। आओ हम एक घर बनाते हैं। समर्पण से नींव मज़बूत बनाते हैं।। आओ हम एक घर बनाते हैं।
दान का स्वरूप बहुआयामी है ऐसा ही एक स्वरूप श्रमदान है. दान का स्वरूप बहुआयामी है ऐसा ही एक स्वरूप श्रमदान है.
जीने के लिए हवा पानी चाहिए बचाओ नही तो जियोगे कैसे, खाने के लिए भोजन थाल चाहिए। जीने के लिए हवा पानी चाहिए बचाओ नही तो जियोगे कैसे, खाने के लिए भोजन थाल च...
हम भारत की माटी में मरे इससे बड़ी कोई और खुशी नहीं है हम भारत की माटी में मरे इससे बड़ी कोई और खुशी नहीं है
फुफ्फुस में जब कभी गर्द पड़ी हो , सफाया कर उसका चट् से रेणु कण दूर भगाएं वो! फुफ्फुस में जब कभी गर्द पड़ी हो , सफाया कर उसका चट् से रेणु कण दूर भगाएं वो!
खोज में निकल गया हूं खुद की , भटक रहा हूं मंजिल की राह में ! खोज में निकल गया हूं खुद की , भटक रहा हूं मंजिल की राह में !
क्योंकि तेरी सफलता एक दिन जरूर शोर मचाएगी। क्योंकि तेरी सफलता एक दिन जरूर शोर मचाएगी।
इसके अनंत उपकारों को मन, कभी भूल न पाता है, इसके अनंत उपकारों को मन, कभी भूल न पाता है,
है खड़ी आकर सामने अपार जल की धार, परेशान इंसान है यह सोच के की कैसे करें इसे पार. है खड़ी आकर सामने अपार जल की धार, परेशान इंसान है यह सोच के की कैसे करें इसे ...
कभी अंगुली पकड़कर कभी कंधे में बिठाकर घुमाता है कभी तो खुद ही घोड़ा बनकर सैर कराता है कभी अंगुली पकड़कर कभी कंधे में बिठाकर घुमाता है कभी तो खुद ही घोड़ा बनकर सैर ...