पता नहीं फिर भी यह ज़िन्दगी
पता नहीं फिर भी यह ज़िन्दगी
माँ का प्यार, पिता की फटकार,
बीते बचपन का एहसास यह जिंदगी।
कमी का बोझ, अति का भोग,
उस कड़वे का मीठा एहसास यह जिंदगी।
कभी अचानक, कभी भयानक,
दोनों के बीच उन्माद यह जिंदगी।
कभी उलझाना, कभी सुलझाना,
हर पल एक प्रयास यह जिंदगी।
ब्रह्म में भूत, स्वप्न में डूब,
जटिल हकीकतों का सार यह जिंदगी।
