प्रतिदान
प्रतिदान
चंद लोग हैं अभी
जो निस्वार्थ भाव से
समर्पित होते हैं
संकल्पित होते हैं
कुर्बान हो जातें हैं
बलिदान देतें हैं
फिर भी नहीं चाहते
बदला और
उस प्रेम का प्रतिदान
नहीं मांगते कोई प्रमाण
उस पावती का जवाब
(रिसिविंग स्लिप)
नहीं चाहते धन्यवाद,
शुक्रिया और मेहरबानी
जैसे औपचारिक शब्द।
देना... देना... और सिर्फ
देना ही जिनकी प्रवृति है
अपनी सारी संवेदनाएं ,
भावनाएं एवं आंतरिक
ऊर्जाओं का दान देकर भी
मौन रहने वाला अद्भुत
अलौकिक इंसान।
अपने हिस्से की खुशियां,
सुख और आनंद लुटाकर
मंद मंद मुस्कान धारण
करने वाला अप्रतिम
मानवमूर्ति जिन्हें
कुछ नहीं चाहिए होता है
किसी से .... ।
निगाहों का अभिवादन भी
स्वीकार्य नहीं होता
नहीं होता मंजूर उन्हें
दान का प्रतिदान
पहली दफा देखा है
ऐसा एक इंसान ...........!
यह रचना मैं अपने गुरूजी को समर्पित करती हूं