परिश्रम का गीत
परिश्रम का गीत
गीत
शीर्षक--परिश्रम का गीत
मनुज मेहनत का, गीत गाए यहॉं।
आलसी बैठ कर, कुछ न पाए यहॉं।।
जी चुराकर कभी,जो मिले थे भवन।
जिंदगी में चले, ना सहे जो तपन।
शिखर पर पहुॅंच का, मन बनाए कहॉं।
आलसी बैठकर, कुछ न पाए यहॉं।।
सौ बहाने बना, समय खोना नहीं
गलतियों को मिटा, जहां बढ़ तो सही।
कर्म कर तू मिले, चैन आए वहॉं।
आलसी बैठकर, कुछ न पाए यहॉं।।
देख आकर समय, बीतता सब गया।
आदमी हो बचा, शर्म रख तो हया।
पास बल है सभी, मुस्कुराए वहॉं।
आलसी बैठकर, कुछ न पाए यहॉं।।
मनुज मेहनत का, गीत गाए यहॉं
आलसी बैठकर, कुछ न पाए यहाॅं।।