ritu sinha
Abstract
एक ऐसी प्रेम कथा जो
अधूरी होकर भी पूर्ण है।
अनोखी प्रेम क...
प्रेम
खामोशी मेरी बताती है बात मेरी जज़्बाती है। खामोशी मेरी बताती है बात मेरी जज़्बाती है।
रोज उतारू नजर तुम्हारी , जान भी मेरी जान, तुझ पे वारी है , रोज उतारू नजर तुम्हारी , जान भी मेरी जान, तुझ पे वारी है ,
हृदय की दूरियाँ बढ़ी इतनी अपने भ्राता नहीं अपने रहे, हृदय की दूरियाँ बढ़ी इतनी अपने भ्राता नहीं अपने रहे,
'अ' अनार से शुरू कर 'ज्ञ' ज्ञानी तक पहुँचाती हूँ 'अ' अनार से शुरू कर 'ज्ञ' ज्ञानी तक पहुँचाती हूँ
पुलकित पुलकित मन की आशा जहाँ न हो कहीं निराशा पुलकित पुलकित मन की आशा जहाँ न हो कहीं निराशा
एक शोर था उस आवाज़ में , एक दंभ भरी हँसी , एक शोर था उस आवाज़ में , एक दंभ भरी हँसी ,
जिस पल तुम्हें अच्छे-बुरे का सम्यक ज्ञान प्राप्त होगा, जिस पल तुम्हें अच्छे-बुरे का सम्यक ज्ञान प्राप्त होगा,
चाबी खो दी है उसकी मैंने तोड़ने उसे नहीं कभी वाला हूँ मैं चाबी खो दी है उसकी मैंने तोड़ने उसे नहीं कभी वाला हूँ मैं
सज रहें हैं घर के आंगन और मिष्ठान के थाल सारे, सज रहें हैं घर के आंगन और मिष्ठान के थाल सारे,
इक दूजे पे है विश्वास जिंदा है प्रेम जीवन की साँस। इक दूजे पे है विश्वास जिंदा है प्रेम जीवन की साँस।
हमने खुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है। हमने खुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है।
खुद अंधेरे में रह जाता है जग को रोशन कर जाता है खुद अंधेरे में रह जाता है जग को रोशन कर जाता है
ईर्ष्या नफरत का भेद मिटे हम सब आओ गले मिलें। ईर्ष्या नफरत का भेद मिटे हम सब आओ गले मिलें।
नफरत से अब नफरत न कीजिए नफरत को भी भरपूर सम्मान दीजिए। नफरत से अब नफरत न कीजिए नफरत को भी भरपूर सम्मान दीजिए।
स्वीकार कर रहे हैं उसी गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और अशिक्षा को स्वीकार कर रहे हैं उसी गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और अशिक्षा को
ना कोई राजा ना कोई रंक, प्रेम और सौहार्द की छांव तले! ना कोई राजा ना कोई रंक, प्रेम और सौहार्द की छांव तले!
वो हमें ठीक से परख लेते तो कभी, वो हमें ठीक से परख लेते तो कभी,
आसमान में' मैं' खोजता खोया पिछड़ा एक अपने में झुलसते आसमान में' मैं' खोजता खोया पिछड़ा एक अपने में झुलसते
तब तुमने मुझसे उस ख़ामोशी में भी कुछ न कुछ बुलवाया है, तब तुमने मुझसे उस ख़ामोशी में भी कुछ न कुछ बुलवाया है,
पूछता फिरता हूँ पता खुद ही से खुद का धोबी का कुत्ता हूँ मैं घर का ना घाट का ।। पूछता फिरता हूँ पता खुद ही से खुद का धोबी का कुत्ता हूँ मैं घर का ना घाट का ...