प्रेम की वायु
प्रेम की वायु
सुनो....
जहां गहरा जुड़ाव हो
नाराजगी भी लाजमी है
पर नाराजगी को
हावी न होने देना प्रेम पर
नाराजगी की गठरी को
खुला छोड़ देना
ताकि प्रेम की वायु घुल जाये इसमें
और मिट जायें सब गिले शिकवे।
बांधकर न रखना इसे
याद रखना कि रूठने के साथ
मनाना भी होता है
कहीं ऐसा न हो
कि फिर वक्त ही फिसल जाये हाथों से
और हम कोसते रहें खुद को तमाम उम्र।