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Kavita Maithani Bhatt

Others

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Kavita Maithani Bhatt

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स्त्री

स्त्री

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मुझे स्वीकार नहीं

तुम्हारे ये कोरे रीति रिवाज,

जहां बेटी को वस्तु मानकर,

कर दिया जाता है कन्यादान।

मुझे स्वीकार नहीं

वो देवी वाला झुनझुना,

जो थमा दिया जाता है,

स्त्री के हाथों में।

मुझे स्वीकार नहीं 

तुम्हारा वो दम्भ

जो हमेशा स्त्री को

निम्नतर आंकता है।

मुझे स्वीकार नहीं

तुम्हारी वो नजरें

जो स्त्री को केवल 

भोग की वस्तु मानती हैं।

मुझे तो स्वीकार है

वो खुला आसमां

जहां एक स्त्री को भी

इंसान का दर्जा मिले।

   



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