पन्ने अतीत के
पन्ने अतीत के
पन्ने अतीत के कुछ,
पलटे, अचानक हवाओं में बिखर गए !
सदियों ये चुप थे पड़े,
काल-कवलित व धूल-धुसरित,
वक्त की परत में दबे,
मुक्त हुए, आज ये मुखर हुए !
पन्ने अतीत के कुछ,
पलटे, अचानक हवाओं में बिखर गए !
फड़-फड़ाते से ये पन्ने,
खंड-खंड, अतीत के हैं ये पहने,
अब लगे हैं ये उतरने,
यूँ चेहरे अतीत के, मुखर हुए !
पन्ने अतीत के कुछ,
पलटे, अचानक हवाओं में बिखर गए !
पल, था जो वहीं रुका,
पल, न था जिसको मैं जी सका,
शिकवे और शिकायतें,
रुके वो पल, मुझसे कर गए !
पन्ने अतीत के कुछ,
पलटे, अचानक हवाओं में बिखर गए !
कुछ गैर अपनों से भले,
कभी, अपनों से ही गए थे छले,
पहचाने से वो चेहरे,
नजरों के सामने, गुजर गए !
पन्ने अतीत के कुछ,
पलटे, अचानक हवाओं में बिखर गए !
गर्दिशों में वक्त की कहीं,
मुझ से, खोया था आईना मेरा,
शक्ल पुरानी सी मेरी,
अतीत की, गर्भ में दिख गए !
पन्ने अतीत के कुछ,
पलटे, अचानक हवाओं में बिखर गए !
सामने था भविष्य मेरा,
अतीत की, उसी नींव पे ठहरा,
कुछ ईंटें उस नींव की,
वर्तमान में रखो, ये कह गए !
पन्ने अतीत के कुछ,
पलटे, अचानक हवाओं में बिखर गए !