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Neena Ghai

Abstract

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Neena Ghai

Abstract

पिया हर तरफ तू ही तू

पिया हर तरफ तू ही तू

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हर तरफ़ तू ही तू , तू ही तू


क्यों तूने झूठा है खेल रचाया

क्यों तूने है इस जग को छलाया

हम समझ बैठे इस जग को अपना

पर यह तो है इक झूठा सपना

जो भी है , तू ही तू , तू ही तू


वाह रे तारण हारे, वाह रे खेवन हारे

नैया पार लगा दे मैंने समझ लिया

जो भी है बस तू ही तू तू ही तू



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