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Neena Ghai

Abstract

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Neena Ghai

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तुझे क्या कहूं

तुझे क्या कहूं

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तुझे चांद कहता हूं

तो डर लगता है कहीं

चांद की तरह मुझ से

दूर न हो जाये तू


तुझे सितारा कहता हूं

तो डर लगता है कहीं

टूटते हुए सितारों का 

हिस्सा न बन जाए तू


तुझे ख़्वाब कहता हूं

तो डर लगता है कहीं

आंख खुलते ही कहीं

खो न जाए तू


तुझे खुशबू कहता हूं

तो डर लगता है कहीं

चंचल हवा में कहीं 

घुल न जाए तू


अब तूं ही बता मेरे 

यशोदा लाल ,देवकी नंदन मैं 

तुझे किस नाम से पुकारूं

जो हकीकत बन मेरे पास 

रह जाए तू।


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