तुझे क्या कहूं
तुझे क्या कहूं
तुझे चांद कहता हूं
तो डर लगता है कहीं
चांद की तरह मुझ से
दूर न हो जाये तू
तुझे सितारा कहता हूं
तो डर लगता है कहीं
टूटते हुए सितारों का
हिस्सा न बन जाए तू
तुझे ख़्वाब कहता हूं
तो डर लगता है कहीं
आंख खुलते ही कहीं
खो न जाए तू
तुझे खुशबू कहता हूं
तो डर लगता है कहीं
चंचल हवा में कहीं
घुल न जाए तू
अब तूं ही बता मेरे
यशोदा लाल ,देवकी नंदन मैं
तुझे किस नाम से पुकारूं
जो हकीकत बन मेरे पास
रह जाए तू।
