कौन है तू
कौन है तू
कौन है तू ,क्या है तेरा नाम
कहॉं का है तू , कहॉं है तेरा धाम
कैसा है तेरा रूप , कैसा है तेरा रंग
कैसी है तेरी काया, कैसी है तेरी माया
न देखा है तुझे किसी ने
न छुआ है तुझे किसी ने
फिर भी कई हैं तेरे नाम
हर तरफ़ तू ही तू, तू ही तू
कोई कहे ईसा ,कोई रहीम
कोई सॉंवला श्याम तो कोई राम
हर तरफ तू ही तू, तू ही तू
कोई ढूँढे तुझे मन्दिर की मूरत में
तो कोई खाली मस्जिद में
कोई ढूँढे तुझे गिरजा घर में
तो कोई वृन्दावन की कुन्ज गलियों में
हर तरफ़ तू ही तू, तू ही तू
कभी तू गोरा , कभी सांवला
कभी पहाड़ों जैसा , कभी पेड़ों जैसा हरा हरा
कभी हाथी जैसा ,कभी चींटी जैसाछोटा छोटा
कभी बगिया के फूलों जैसा रंग बिरंगा
हर तरफ़ तू ही तू, तू ही तू
किसी का बेटा बन प्यार है पाता
किसी का भाई बन धर्म निभाता
किसी का पिता बन छाया बन जाता
किसी का सावंरिया बन रास रचाता
हर तरफ़ तू ही तू, तू ही तू
देखे जो तुझे जिस नज़र से
बन जाता वैसा तू उसकी नज़र में
वाह रे मेरे मौला ,वाह रे मेरे ईसा
वाह रे मेरे बन्सी बजीया वाह रे मेरे पिया
हर तरफ़ तू ही तू, तू ही तू
क्यों तूने झूठा है खेल रचाया
क्यों तूने है इस जग को छलाया
हम समझ बैठे इस जग को अपना
पर यह तो है इक झूठा सपना
जो भी है , तू ही तू, तू ही तू
वाह रे तारण हारे, वाह रे खेवन हारे
नैया पार लगा देमैंने समझ लिया
जो भी है बस तू ही तू तू ही तू ।
